किसी भी कारण से दिमाग के किसी हिस्से का अचानक काम करना रोक देना स्ट्रोक है। ये दियंग की नस के क्लॉट के कारण ब्लॉक होने अथवा किसी कारणवश फट जाने से हो सकता है।
अचानक शरीर के किसी एक भाग का कमजोर हो जाना, बोलने या समझने में कठिनाई आना, नज़र में परेशानी आना, सरदर्द होना, बेहोशी आना, चलने में दिक्कत होना आदि लक्षण हो तो स्ट्रोक हो सकता है, ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचे।
स्ट्रोक होने के मुख्य कारण हैं बढ़ती उमर (increasing age), रक्तचाप (हाइपरटेन्षन hypertension), डाइयबबटीस (diabetes), मोटापा (obesity), हाइ कोलेस्ट्टरॉल (high cholesterol), धूम्रपान (smoking), अत्यधिक शराब का सेवन, हृदय की गति से संबंधित बीमारी तथा कुछ लोगों में आनुवंशिक (genetic) बीमारियां।
लगभग तीस प्रतिशत लकवे के मरीजों में लकवे का कारण दिमाग़ की बड़ी नस का बंद होना होता है। खून पतला करने वाली दवा उस स्थिति में ज्यादा लाभकारी सिद्ध नहीं होती है। उस स्थिति में यदि नस में जा कर डाइरेक्ट क्लॉट को निकाला जाए तो सुधार बहुत जल्दी आता है। इसी प्रकिया को मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी कहते हैं। आम तौर पर लगभग ८०% लोगों में ये प्रकिया सफल साबित होती है।
तुरंत नजदीकी अस्पताल जायें जहाँ की फिजिशियन/ न्यूरोलॉजिस्ट की सुबिधा तथा सी. टी स्कैन (CT SCAN) की सुबिधा उपलब्ध हो, और हो सके तो वो समय जब की मरीज को आखरी बार स्वस्थ देखा गया था डॉक्टर को बतायें।
जी हाँ, स्ट्रोक के प्रकार के मुताबिक यदि जल्द से जल्द इलाज़ लिया जाए तो मरीज में जल्द सुधार मुमकिन है। नस बंद या नस में क्लॉट होने की स्थिति में खून पतला होने का इंजेक्शन या नस में स्टेंट डाल कर इलाज़ किया जा सकता हैं। नस फटने की स्थिति में यदि जल्द से जल्द BP कंट्रोल किया जाए तो जल्द ठीक होना मुमकिन है। नस फटने के कुछ और कारण भी है जैसे नस में फुलावट (ANEURYSM) आ के फटना या नसों के गड़बड़ गुच्छे (AVM) का फटना। इनका भी जल्द पता लगा कर इलाज़ संभव है।
लकवे से सुधार लाने में फिजियो थेरपी की काफी ज़रूरत होती है, शुरुआती दिनों में यदि अच्छे से फिजियो थेरेपी की जाए तो सुधार में मदद मिलती है और बाद के दिनों में करें तो कमजोर हाथ पाओं के जोड़ों में लचीलापन बनना रहता है तथा सुधार की संभावना भी बनी रहती है।
लकवे से सुधार लाने में फिजियो थेरपी की काफी ज़रूरत होती है, शुरुआती दिनों में यदि अच्छे से फिजियो थेरेपी की जाए तो सुधार में मदद मिलती है और बाद के दिनों में करें तो कमजोर हाथ पाओं के जोड़ों में लचीलापन बनना रहता है तथा सुधार की संभावना भी बनी रहती है।